तुम्हारा आना एक दो एक नम्बर की जर्जर बस पकड़करजिसमें पाँव रखने की जगह नहीं मिलतीऔर पिता को बहाने देना किसखी के साथ जा रही हूँकपड़े लेनेशनिचरी हाट में मैं भी कितने हील-हुज्जत के बाद छूट पाता हूँघर से मोगरे लेता हूँराह सेनोट तुड़वाकरजो शेव के लिए जमा रखा थाकविता करने तक ठीकपर माँ जल […]

0