हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बसपा घाटी में बसा गाँव छितकुल इस सीमा के अंतिम और सबसे ऊंचे गांव के रूप में जाना जाता है। हिमालय की गोद में बसा छितकुल गाँव बसपा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित एक अत्यंत ही सुंदर गांव है। इस गाँव की जनसंख्या कम होने के कारण यह बेहद शांत भी है और पर्यटकों में ख़ासा लोक प्रिय भी है।
कहाँ है छितकुल
छितकुल हिमाचल प्रदेश राज्य के किन्नौर जिले में भारत तिब्बत सीमा पर भारत के आख़िरी गांव के रूप में बसा है। थोली पास के उस पार तिब्बत का पहला गांव तोगो है। समुद्रतल से 3450 मीटर की ऊंचाई पर बसा छितकुल हिमालय और उनकी हिम नदियों की वजह से बेहद ठंडा है।
प्राकतिक नज़ारों से भरपूर है छितकुल
छितकुल दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, छित मतलब कि छः और कुल मतलब कि इकट्ठा होना या मिलना। अर्थात छितकुल वह जगह है जहाँ छः धाराएं मिलती हों। हिमालय से आती कई हिम नदियों की धाराएं छितकुल में मिलती हैं और पर्यटकों को बेहद अलग अहसास कराती हैं।
बसपा नदी की कल कल और सेब के बागान आप का मन मोह लेंगे। छितकुल की लुभावनी सुंदरता और शांत वातावरण आपको प्रकृति के बेहद क़रीब होने का अहसास करवाएगा। विशाल आर्किड पहाड़, चट्टाने, बसपा नदी , घास के मैदान और जंगल आपको हिमालय की भव्यता का वर्णन करते दिखाई देंगे।
छितकुल दुनिया भर में अपने आलुओं के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ पर उगाए जाने वाले आलू दुनिया मे सबसे अच्छे माने जाते हैं और बेहद महंगे हैं।
क्या कर सकते हैं?
छितकुल एक दुर्गम पहाड़ी इलाका होने की वजह से ट्रेकिंग प्रेमियों की खास पसंद है। आप छितकुल में ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं जिसमें आप बर्फ़ से ढंके हुए पहाड़, घास के मैदान और जंगलों की ख़ूबसूरती को बहुत अच्छे से निहार सकते हैं। ड्राइविंग पसंद करते हैं तो यहाँ पर कई रोमांचक रोड पर ड्राइव का आनंद ले सकते हैं। आप छितकुल से पैदल ट्रेक कर के गंगोत्री पहुंच सकते हैं और यह बेहद ही रोमांचक और साहसिक ट्रेक है।
पशु प्रेमियों के लिए एक वन्य जीव अभ्यारण्य है जहाँ जा कर हिमालयी वन्य जीवन के बारे में जान सकते हैं। इसके अलावा सेब के बगीचे अपनी सुंदरता लिये आपको आकर्षित करेंगे।
छितकुल एडवेंचर कैम्पिंग और फ़िशिंग के लिए बहुत ही उपयुक्त जगह है। आप यहाँ कैंपिंग के साथ मछली पकड़ने का आनंद ले सकते हैं जो पर्यटकों में ख़ास लोकप्रिय है। यदि आप कैंपिंग कर रहे हैं तो रात के समय तारों से भरा हुआ आसमान देख कर आपका दिल ख़ुश हो जाएगा।
फ़ोटोग्राफ़ी के लिए भी छितकुल बेहद उपयुक्त जगह है। यहाँ स्थित हिंदुस्तान के आख़िरी ढाबे में खाने का आनंद ले सकते हैं।
छितकुल: धार्मिक मान्यताएं
छितकुल में स्थानीय देवी के तीन मंदिर हैं जिन्हें देवी छितकुल माथी के नाम से जाना जाता है। देवी को राणी रणसंगा भी कहते हैं। ऐसा मानते हैं कि स्थानीय देवी गांव और ग्रामीण जनों के साथ साथ पर्यावरण की रक्षक भी हैं।
इन मंदिरों का निर्माण मुख्य रूप से गढ़वाल निवासी द्वारा लगभग 500 साल पहले करवाया गया था। देवी के मंदिर में उनके वर्ग का एक संदूक है जो कि अखरोट की लकड़ी से बना हुआ है और हमेशा कपड़े से ढंका रहता है। बैन नाम के दो धुवों को इसके माध्यम से डाला जाता है जो इसे उठाने के काम आते हैं। देवी के पास ही एक मुखपत्र भी रखा होता है। छितकुल आएं तो स्थानीय देवी के मंदिर के दर्शन ज़रूर करें।
एक और मान्यता यह भी है कि बसपा में ही भगवान विष्णु ने भस्मासुर का वध किया था । बसपा का अर्थ भी भस्म होता है।
छितकुल में कहाँ घूमें?
●प्राकृतिक सुंदरता को निहारें।
●बसपा नदी
●माथी देवी मंदिर
●हिंदुस्तान का आख़िरी ढाबा
●छितकुल किला
●वास्तु कला देखें।
छितकुल के आस पास घूमने लायक स्थान
●बसपा नदी- सांगला घाटी का प्रमुख आकर्षण बसपा नदी है। पर्यटकों के बीच यह नदी एडवेंचर कैंपिंग और फ़िशिंग के लिए काफ़ी लोकप्रिय है। तस्वीरें लेने के शौक़ीन हों तो यहाँ ज़रूर आएं।
●बटसेरी गाँव- छितकुल से कुछ दूर स्थित बटसेरी गाँव बेहद सुंदर गाँव है। यह अपने पाइन नट्स, चिलगोजों और हस्त शिल्प के लिए जाना जाता है। यहाँ आकर हिमाचली शॉल और टोपी ख़रीद सकते हैं।
●कमरू किला- इतिहास से मुहब्बत रखने वाले लोगों को यहाँ ज़रूर आना चाहिए। यह किला हालांकि अब मन्दिर में तब्दील कर दिया गया है मगर इसकी स्थापत्य कला बेजोड़ है।
●बेरिंग नाग मन्दिर- बेरिंग नाग मन्दिर सांगला घाटी में स्थित भगवान जगस को समर्पित हिंदुओं के प्रमुख मंदिरों में से है। विशेषतः अपनी वास्तुकला के लिए जाना जाने वाला यह मंदिर बेहद ख़ूबसूरत भी है। आप यहां अगस्त और सितम्बर के मध्य मनाए जाने वाले फालिच मेले का आनन्द ज़रूर लें।
● सांगला मेदो- हरे भरे घास के मैदानों से भरा हुआ और पृष्ठभूमि में बर्फ़ से ढंके पहाड़ बेहद ही ख़ूबसरत है। छितकुल यात्रा के दौरान सांगला मेदो ज़रूर आएं।
●कालपा- कालपा गांव सांगला घाटी में बसा हुआ बेहद ख़ूबसरत गांव है अपने हरे घास के मैदान और बर्फ से ढंके पहाड़ इसे बेहद ख़ूबसरत बनाते हैं।
कहाँ रुकें
छितकुल में आपको रुकने के लिए कुछ होटल्स आसानी से मिल जाएंगे। साथ ही ट्रैवेलर्स हॉस्टल भी उपलब्ध हैं। आप छितकुल में कैंपिंग का आनंद लेना चाहते हैं तो तम्बू लगा कर रह सकते हैं।
क्या खाएं
छितकुल में भोजन आसानी से मिल सकता है। यहाँ के लोक व्यंजनों का स्वाद लेना बिल्कुल भी न भूलें। यदि आप कैंपिंग कर रहे हैं तो मछली पकड़कर उसका स्वाद ले सकते हैं। छितकुल में स्थित हिंदुस्तान के आख़िरी ढाबे में खाना बिल्कुल भी न भूलें यह एक अविस्मरणीय अनुभव होगा।
क्या ले जाएं?
छितकुल जाएं तो अपने साथ गर्म कपड़े ज़रूर रखें। छितकुल का तापमान औसतन कम ही होने के कारण गर्म कपड़े बेहद ज़रुरी होते हैं। यहाँ कोई एटीएम नहीं है इसलिए हम आपको सलाह देंगे कि आप अपने साथ कैश ले कर चलें। हालांकि सांगला में एटीएम की सुविधा उपलब्ध है।
छितकुल तापमान
वैसे तो छितकुल साल भर लगभग ठंडा ही रहता है और इसका कारण इसका हिमालय की गोद में होना और समुद्र तल से बेहद ऊंचा होना है। मई ,जून और जुलाई के वक़्त छितकुल का तापमान दिन में औसतन 10 डिग्री होता है। और रातें गर्मी के दिनों में भी शून्य के पास पहुंच जाती हैं। ठंड के मौसम यानी अक्टूबर से फरवरी के बीच यह गाँव भारी बर्फ़बारी में रहता है और तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। इसलिए अक्टूबर से फरवरी के बीच यह गांव बन्द रहता है और यहां के लोग निचले गांव में चले जाते हैं।
कब आएं छितकुल?
छितकुल आने का सबसे अच्छा समय मई,जून,जुलाई और सितम्बर का है। यदि आप यहाँ सितम्बर में आते हैं तो यह सबसे अच्छा समय कहलाएगा। इस वक़्त पूरी घाटी हरी भरी और बेहद ख़ूबसूरत नज़र आती है। इस हिसाब से छितकुल आने का सबसे अच्छा समय सितम्बर है और इसके बाद आप मई-जून-जुलाई में आ सकते हैं। ठंड के मौसम में अक्टूबर से फरवरी तक यह गांव भीषण बर्फ़बारी के कारण बन्द रहता है।
कैसे पहुंचे?
फ्लाइट से- यदि आप फ्लाइट से छितकुल पहुंचना चाहते हैं तो नज़दीकी हवाई अड्डा शिमला एयरपोर्ट (238 किमी)है जो भारत के अन्य हवाई अड्डों से बखूबी जुड़ा हुआ है। आप फ्लाइट से शिमला तक आ कर यहाँ से सांगला के लिए टैक्सी ले कर छितकुल पहुंच सकते हैं।
ट्रेन से- यदि आप ट्रेन से सफर करते हैं तो नज़दीकी रेलवे स्टेशन शिमला तक ट्रेन से आ सकते हैं फिर यहाँ से टैक्सी ले कर छितकुल पहुंच सकते हैं। नज़दीकी बड़ा रेल स्टेशन चंडीगढ़ है।
सड़क मार्ग- छितकुल पहुंचने का सबसे अच्छा मार्ग सड़क मार्ग है। चंडीगढ़ से सांगला की बस सुबह 10 बजे चलती है और शाम के वक़्त सांगला पहुंचती है आप यहां से छितकुल के लिए टैक्सी ले सकते हैं। दिल्ली से भी सांगला और रिकांग पिओ के लिए हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन की बस की सुविधा है। इसके अलावा शिमला, पंजाब और हरियाणा से भी हिमाचल पथ परिवहन की बस सांगला तक आती हैं जिनके जरिये आप छितकुल पहुंच सकते हैं।
छितकुल एक नज़र में
● उपयुक्त मौसम- सितम्बर और इसके अलावा मई से जुलाई।
● शरुआत- सांगला
●ट्रेक- लमखागा पास ट्रेक, बोरासु पास ट्रेक, नागस्ती आईटीबीपी पोस्ट
●ट्रेक की कठिनता- मध्यम
●समुद्रतल से ऊंचाई- 3450 मीटर
●लोकेशन- किन्नौर, हिमाचल प्रदेश
●कम से कम कितने दिन रुकें- 3-4 दिन
●नज़दीकी स्टेशन- शिमला
●नज़दीकी एयरपोर्ट- जुबरहट्टी, शिमला
●बस अड्डा- सांगला
●क्या करें- ट्रेकिंग,कैंपिंग,प्रकृति दर्शन,फ़िशिंग,फोटोग्राफी,ड्राइविंग, पूजा पाठ
●दिल्ली से रूट-
1) दिल्ली-शिमला-रामपुर-रिकांग पिओ-सांगला-छितकुल
2) दिल्ली-मनाली-कप्पा-रिकांग पिओ-सांगला-छितकुल
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