Rajnath Singh : डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर से देश के रक्षा मंत्री तक का सफर तय करने वाले नेता राजनाथ सिंह का आज जन्मदिवस है

rajnath singh

Rajnath Singh : जुलाई 10 साल 1951 के रोज़ वाराणसी के भाभेरा गांव में रामबदन सिंह एवं गुजराती देवी के घर एक बालक का जन्म हुआ. यह गांव अब चंदौली जिले में आता है. बालक जब 13 बरस का हुआ तो आर एस एस से जुड़ गया. उम्र बढ़ती रही तो राजनैतिक क़द भी बढ़ता चला गया. और फिर एक दिन आया जब ये बालक देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री से ले कर देश गृह और रक्षा मंत्री के पद तक पहुंच गया.

Rajnath Singh : आज हम बात कर रहे हैं राजनाथ सिंह. राजनाथ सिंह का आज जन्मदिन है.

अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव से ही पूरी करने के बाद राजनाथ सिंह दीन दयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी गोरखपुर में पढ़ने चले गए.स्नातक ख़त्म करने के पश्चात के बी कॉलेज मिर्ज़ापुर में भौतिक विज्ञान यानी कि फ़िज़िक्स के प्राध्यापक नियुक्त हुए.

राजनैतिक जीवन

महज 13 बरस की उम्र में साल 1964 में राजनाथ संघ से जुड़े थे. साल 1972 में इन्हें मिर्ज़ापुर का शाखा कार्यवाह बना दिया गया. उम्र महज 21 की थी. साल 1974 राजनाथ सिंह के राजनैतिक करियर के लिए बहुत बड़ा साल था. राजनाथ सिंह साल 1974 में जनसंघ के लिए मिर्ज़ापुर इकाई के सचिव नियुक्त किये गए. और अगले ही साल 1975 में ज़िला अध्यक्ष बना दिये गए. उम्र सिर्फ और सिर्फ 24 की थी.

साल 1975 का मतलब इमरजेंसी का साल था. जब बड़े से बड़े नेता को भी जेल में उठा कर डाल दिया जा रहा था और राजनाथ उस वक़्त सिर्फ़ उदित ही हो रहे थे. स्वाभाविक तौर पर उन्हें भी जेल में डाल दिया गया. वे छात्र राजनीति में सक्रिय थे. जेपी से प्रभावित थे. इसलिये सीधे तौर पर आंदोलन से जुड़े थे.

Rajnath Singh मशहूर किस्सा

साल 1976 की बात है जब बड़े नेता जेल में थे. जनसंघ के बड़े नेता रामप्रकाश गुप्ता और अन्य साथियों के साथ यू पी की एक जेल में राजनाथ सिंह भी थे. राम प्रकाश गुप्ता ज्योतिष समझते थे. उन्होंने राजनाथ सिंह का हाथ देखा और लकीरें देख कर कहा “एक दिन तुम बहुत बड़े नेता बनोगे”. राजनाथ हँसे. पूछा “कितना बड़ा ?”. गुप्ता ने जवाब दिया ” यू पी के सी एम से भी बड़ा”.

Rajnath singh with_kalyaan_singh

Rajnath Singh बढ़ते चले राजनाथ

साल 1977 में जनता पार्टी ने चुनाव जीत लिया. जनता लहर में राजनाथ मिर्ज़ापुर से विधायक बने. फिर साल 1991 में बीजेपी की सरकार बनी. यू पी के मुख्यमंत्री बने कल्याण सिंह. राजनाथ सिंह मंत्री बने. माध्यमिक शिक्षा मंत्री.

नकल अध्यादेश

इस कार्यकाल में यू पी में दो चीज़ें गिरीं थीं. पहली बाबरी मस्जिद और दूसरा माध्यमिक शिक्षा का पास परसेंट. हम दूसरी पर बात करेंगे. नकल अध्यादेश 1991 में आया. इसने ही राजनाथ को मशहूर किया. नकल अध्यादेश का मतलब था नकल करते हुए पकड़े गए विद्यार्थी हाल में गिरफ्तार कर लिए जाएंगे और जमानत के लिए कोर्ट का रुख़ करना होगा.

साल 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद कल्याण सिंह ने इस्तीफा दिया. 1993 में फिर चुनाव हुए. इस बार राजनाथ चुनाव हार गए. सीट थी महोना.

बसपा- भाजपा गठबंधन

अपनी हार के दो साल बाद राजनाथ राज्यसभा जा चुके थे. बाद में प्रदेश के पार्टी अध्यक्ष बने. साल 1996 में बसपा एयर भाजपा की गठबन्धन सरकार बनी. ये वही सरकार थी जिसमे 6-6 महीने के मुख्यमंत्री का फार्मूला निकाला गया था.

मायावती 6 महीने सी एम बनीं उनजे बाद कल्याण सिंह बने और मायावती ने सनर्थन वापस ले लिया. राजनाथ सिंह की बदौलत भाजपा सरकार बचाने में कामयाब हो गई.

भविष्यवाणी सच हुई

साल 1999 के चुनाव में रामप्रकाश गुप्ता को वापस लाया गया. राम प्रकाश गुप्ता सी एम बने. मगर लोग नए थे और गुप्ता पुराने. 11 महीने ही राज कर सके. उन्हें हटा कर नया सी एम बनाया गया. सी एम का नाम था ‘ राजनाथ सिंह’. साल 1976 में गुप्ता की भविष्यवाणी जो राजनाथ का हाथ देख कर की गई थी वो सच हो गई थी. वो यू पी के सी एम से भी बड़े नेता बन चुके थे. वो अपने भविष्यवक्ता से भी बड़े नेता बन चुके थे.

राजनाथ मुख्यमन्त्री रहे. साल 2002 में उनकी अगुवाई में चुनाव हुए ,बीजेपी हार गई. बुरी तरह हारी. साल 2004 में
केंद्र से भी बीजेपी चली गयी. आडवाणी पार्टी के अध्यक्ष बन गए. पाकिस्तान जा कर जिन्ना की तारीफ करने पर आडवाणी का विरोध हुआ. आडवाणी ने इस्तीफा दिया और नए अध्यक्ष बने राजनाथ सिंह. 2009 तक वो अध्यक्ष रहें. फिर नितिन गडकरी बने. साल 2013 में राजनाथ फिर अध्यक्ष बने.

Rajnath Singh with_naredra_modi_and_amit_shah

मोदी लहर

साल 2014 का आम चुनाव. भाजपा प्रचंड बहुमत से जीत कर आई. राजनाथ गृह मंत्री बने. 2019 में फिर भाजपा आई और अब राजनाथ देश के रक्षा मंत्री के पद पर आसीन हैं

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