Sawan: आखिर सावन में क्यों होती है भगवान शिव की पूजा? आइए जानते हैं इसका महत्व

Sawan Shiv shankar

Sawan: श्रावण मास या सावन के महीने का हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्व है.

Sawan: श्रावण मास को लेकर यूँ तो कई सारी पौराणिक कथाएं आपको धर्म ग्रन्थों में मिल जाएंगी. इन सभी कथाओं में कुछ प्रमुख पर आज हम चर्चा करेंगे. आइये जानते हैं श्रावण मास के महत्व से जुड़ी कुछ प्रमुख कथाएं.

श्रावण मास शुरू होने के पहले देवशयनी एकादशी आती है. देव शयनी मतलब देवता के शयन की एकादशी. कौन देवता? भगवान विष्णु. सृष्टि के पालक. तो देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु सृष्टि के पालन की ज़िमेदारी से मुक्त हो कर योग निद्रा में चले जाते हैं. समझ लीजिये कि छुट्टी पर चले जाते हैं.

अब श्री विष्णु भगवान के योगनिद्रा में जाने पर इस सृष्टि के संचालन का कार्यभार भगवान शिव के हाथों में आ जाता है. भगवान शिव माता पार्वती के साथ सम्पूर्ण सृष्टि के पालन की जिम्मेवारी ले लेते हैं. इस वजह से सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है.

Sawan: हलाहल की कथा

हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले विष ‘हलाहल’ से सम्पूर्ण सृष्टि को बचाने के लिए उसे पी लिया था और नील कंठ कहलाये थे. हलाहल को पीने का यह वृतांत सावन के महीने में ही घटित हुआ था इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय है और इस महीने में शिव जी का पूजन करना बेहद लाभकारी होता है.

सनत कुमारों की कथा

इस कथा के अनुसार जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन की महिमा के बारे में प्रश्न किया तब भगवान ने उन्हें बताया कि योग शक्ति से देह त्याग के पूर्व माता सती ने हर जन्म में महादेव को ही अपना पति बनाने का संकल्प लिया था. दूसरे जन्म में हिम पुत्री के रूप में जन्मीं माँ पार्वती ने सावन के महीने में शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने हेतु उपवास रखा. अतः सावन का महीना शिव जी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो गया.

शिव जी का ससुराल आना

श्रावण मास के महत्व से जुड़ी हुई एक और कथा के अनुसार भगवान भोलेनाथ सावन मास में ही अपने ससुराल गए थे जहाँ उनका भव्य स्वागत किया गया था. यह भी एक विशेष कारण है कि भगवान शिव को सावन में पूजना बेहद फलकारी माना गया है.

भगवान परशुराम का संबंध

सावन का महीना आते ही कांवड़ियों के चित्र भी आंख के आगे उभर आते हैं. देश के दूर दराज इलाकों से लोग कांवड़ की यात्रा कर आराध्य महादेव की भक्ति करते हैं. मान्यता है कि भगवान परशुराम ने पहली कांवड़ ले जा कर ही कांवड़ यात्रा परंपरा को शुरू किया था. इसलिये भगवान शिव के साथ ही श्री परशुराम भगवान का पूजन भी सावन मास में किया जाता है.

Sawan Shiv Parvati

भू लोक पर रहते हैं भगवान शिव-पार्वती

मान्यता है कि सावन मास में भगवान शिव भू लोक में सपत्नीक यानी माता पार्वती के साथ वास करते हैं. इसलिये सच्चे मन से की गई पूजा का फल ज़रूर प्राप्त होता है. सावन माह के सोमवार भगवान शिव को अत्यंत प्रिय हैं. सछि श्रद्धा के साथ सोमवार को की गई पूजा से भगवान सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं ऐसी मान्यता है.

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