President Election: 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के जरिये हमें एक नया राष्ट्रपति मिलने जा रहा है
President Election: ऐसे में यह जानना और भी ज़रूरी है कि आखिर राष्ट्रपति चुनाव कैसे होते हैं? क्या कभी निर्विरोध चुने गए? टाई हो जाने पर क्या होता है? आइये जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब:
President Election: कैसे होते हैं चुनाव
राष्ट्रपति के चुनाव भारत मे इलेक्टोरल के द्वारा किये जाते हैं। निर्वाचक मंडल के सदस्यों से बना इलेक्टोरल कॉलेज में विधानसभा , लोक सभा, और राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य होते हैं। एक बात यहाँ ध्यान देने वाली है कि लोकसभा और राज्यसभा के नामांकित सदस्य वोट नहीं डाल सकते वहीं विधान परिषद को भी वोट का अधिकार नहीं होता।
राज्य की जनसंख्या के आधार पर मतों के मूल्य निर्धारित किये जाते हैं। फिलहाल 1971 की जनसंख्या के अनुसार मतों का मूल्य निर्धारित किया गया है। राज्यसभा और लोकसभा के सदस्यों का मूल्य एक ही होता है जबकि विधानसभा के सदस्यों का मूल्य अलग होता है।
उदाहरण के तौर पर उत्तर प्रदेश के प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य 208 होता है यह देश मे सबसे ज़्यादा है। वहीं सिक्किम में प्रत्येक विधायक के वोट का मूल्य 7 है जो सबसे कम है। यानि उत्तरप्रदेश के 403 विधायक 83824 वोट देते हैं। ऐसा ही अन्य राज्यों में भी होता है।
सबसे ज़रूरी बात यह कि पूरे चुनाव में मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है बल्कि बैलेट का इस्तेमाल होता है।
क्या सिर्फ दो ही उम्मीदवार खड़े हो सकते हैं?
ऐसा नहीं है. राष्ट्रपति चुनाव में दो से ज़्यादा उम्मीदवार भी खड़े हो सकते हैं परंतु उनके पास कम से कम पचास प्रस्तावक और पचास समर्थक होने चाहिए।
President Election: सिंगल ट्रांसफरेबल
ये भी एक तरह की वोट देने की प्रक्रिया है. इसमें वोटर एक ही वोट देता है पर बैलेट पर अपनी प्राथमिकता को तय करते हुए. वो अपनी पहली और दूसरी पसन्द बैलेट पर बताता है.
राष्ट्रपति कभी निर्विरोध चुने जाते हैं?
ऐसा आज तक सिर्फ एक बार ही सका है. नीलम संजीव रेड्डी एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्हें निर्विरोध चुना गया था. उन के बाद ऐसा अब तक नहीं हो पाया है.
क्या कोई दो बार राष्ट्रपति बना है?
ऐसा भी सिर्फ एक ही बार हुआ है. डॉ राजेन्द्र प्रसाद ही एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्हें दो बार चुना गया था. राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति भी हैं.
टाई होने पर क्या होगा?
यह सोचने वाली बात है कि यदि राष्ट्रपति का चुनाव टाई हो जाए तो क्या होगा. हालांकि संविधान में ऐसी कोई परिकल्पना नहीं की गई है. इतिहास में आज तक न तो ऐसा हुआ और न ही इसकी कोई सम्भावनाये नज़र आती हैं.
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