Condam: जानिए किस वजह से बंगाल में आने लगी कॉन्डोम में कमी
Condam: हाल में ही बंगाल से जुड़ी हुई एक ख़बर आई थी जिसमें बंगाल के युवाओं को कॉन्डोम से नशे करने की लत का मुआमला सामने आया था. बंगाल के दुर्गापुर जिले के युवाओं में इस अजीब किस्म के नशे की वजह से बंगाल में कॉन्डोम कमी तक आने लग गई है.
सोचने वाली बात ये है कि आख़िर बंगाल के युवाओं में अचानक से उपजे इस नशे के तरीके से नशा होता कैसे है? आइये समझते हैं कि कॉन्डोम से नशे कैसे होते हैं? उनमें ऐसे कौन से अवयव हैं जिन से नशे होते हैं?
आपने पहले सुन रखा होगा कि थिनर, व्हाइटनर, और बाम आदि से नशे होते हैं. जो अवयव इन सभी में पाए जाते हैं वही अवयव कॉन्डोम में भी पाए जाते हैं. यही अवयव टूथपेस्ट और जूतों में भी पाए जाते हैं.
नाइजीरिया देश में टूथ पेस्ट और जूतों की डिमांड का 6 गुना अचानक से बढ़ जाना भी इसी की वजह से हुआ था. नाइजीरियन युवक इन दोनों चीजों का इस्तेमाल भी नशे के तौर पर करने लगे थे.
वापस आते हैं बंगाल की तरफ़. इस नशे के पीछे की वजह है केमेस्ट्री. कॉन्डोम को गर्म पानी में उबालने पर कॉन्डोम में मौजूद कार्बनिक एटम्स अल्कोहल यौगिक के रूप में टूटने लगते हैं. यही इस नशे के पीछे की मुख्य वजह है. यही बात टूथपेस्ट और जूतों के साथ भी है जिन्हें नाइजीरियन युवकों ने इस्तमाल किया था.
दुर्गापुर मंडल में काम करने वाले धीमान मंडल कहते हैं
कॉन्डोम में कुछ महकने वाले यौगिक पाए जाते हैं. किंतु जब अल्कोहल तैयार करने के लिए इनका प्रयोग होता है तो यह टूट जाते हैं. इसी के इस्तेमाल से नशे जैसा महसूस होता है. ये लोगों को लती बनाने के लिए काफ़ी होते हैं. डेनड्राइट में भी यही पाया जाता है इस लिए इस का भी इस्तेमाल नशे के रूप में किया जाता है.”
ख़ैर इस नशे को करने वाले कोई रसायन शास्त्री नहीं बल्कि आम युवा हैं जिन्हें इस के पीछे का विज्ञान भी शायद न पता हो. मगर उन्हें इस से होने वाले नुकसान पता होने चाहिए. बंगाल के प्रशासन के लिए फिलहाल यह समस्या गम्भीर है और जल्द अज़ जल्द इस से उबरने की ज़रूरत है.
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