साल 2004. चेन्नई के एक मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले लड़के की नौकरी गूगल में लग जाती है, काम मिलता है टूलबार और क्रोम को विकसित करने का , अगले कुछ सालों में ही क्रोम दुनिया का सबसे पॉपुलर ब्राउज़र बन चुका होता है।
10 साल बाद यानि साल 2014 में इस लड़के को गूगल के सभी प्रोडक्ट और प्लेटफॉर्म से जुड़ी अहम जिम्मेदारी सौंपी जाती। जहाँ ये गूगल के प्रॉडक्ट्स जैसे गूगल टूलबार, क्रोम, डेस्कटॉप सर्च, गैजेट्स, गूगल पैक, गूगल गियर्स, फायरफॉक्स एक्सटेंशन आदि को संभालते हैं।
इसके ठीक एक साल बाद 2015 में तमिलानाडु के चेन्नई से आए इस लड़के को गूगल का सीईओ बना दिया जाता है। नाम है: सुंदर पिचाई।
आज गूगल सीईओ सुंदर पिचाई का जन्मदिन होता है। तमिलनाडु के मदुरै में 10 जून 1972 को रघुनाथ पिचई और लक्ष्मी पिचई के घर जन्में सुंदर का नाम रखा जाता है ” पिचाई सुंदरराजन”. पिता पेशे से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। वो ब्रिटिश कम्पनी जीइसी में काम करते थे। वहीं उनकी माँ एक स्टेनोग्राफर थीं।
आईआईटी मद्रास के कैंपस के अंदर स्थित ‘वाना वाणी’ स्कूल से सुंदर ने अपनी स्कूलिंग पूरी की। ये बात उन्हीने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक इंटरव्यू में ख़ुद बताई,क्योंकि सीईओ बनते ही चेन्नई के स्कूलों में सुंदर को अपना छात्र बताने की होड़ लग गई थी।
आईआईटी खड़गपुर से सुंदर ने अपना बी. टेक पूरा किया और इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए स्टैनफोर्ड और पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी की ओर रूख किया।
आसान नहीं था सफ़र
सुंदर पिचई के पिता पेशे से भले ही इलेक्ट्रिकल इंजीनयर थे मगर बहुत सक्षम नहीं थे। सुंदर पिचाई ने कोविड के दौरान छात्रों को वर्चुअल तरीके से सम्बोधित करते हुए बताया था कि जब उन्हें अमेरिका आना था तब उनके पिता की पूरी एक साल की तनख़्वाह टिकट में खर्च हो गई। ये प्लेन में उनका पहला सफ़र था। अमेरिका जाने पर ही उन्हें अपना पहला कंप्यूटर भी मिला था।
“अंजली ,सुंदर आया है”.
एक बड़ी मशहूर कहावत है ” हर सफल आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है”. सुंदर पिचाई की सफलता के पीछे भी ऐसी ही एक शख्सियत हैं, नाम है अंजली पिचई। अंजली आज सुंदर की पत्नी हैं। मगर इनकी लव स्टोरी भी बेहद ख़ूबसूरत है। सुंदर और अंजली की मुलाक़ात आईआईटी खड़गपुर में बी टेक के दौरान हुई थी। अपनी बैचलर्स डिग्री के दौरान सुंदर को अपनी क्लासमेट अंजली हरियानी से प्यार हो गया। एक इंटरव्यू में सुंदर ने बताया कि उन्हें कॉलेज के दिनों में अंजली से मिलने के काफ़ी मेहनत करनी पड़ती थी। सुंदर , अंजली से मिलने के लिए उनके होस्टल के आगे जाते और सामने टहल रही किसी भी लड़की से कहते कि अंजली को बुला दें। वो जिसे कहते वो लड़की ज़ोर से चिल्लाती ” अंजली, सुंदर आया है”.
सुंदर यह बात ख़ुद कहते हैं कि उनकी पत्नी ने उनका हाथ तब थामा जब वे कुछ नहीं थे। साल 2011 में ट्विटर ने सुंदर को जॉब ऑफर की, उनकी पत्नी ने सुंदर को गूगल न छोड़ने की सलाह दी, और आगे की कहानी आपके सामने है। आज इनके दो बच्चे हैं जिनके नाम काव्याबौर किरण हैं।
सुंदर पिचाई का जीवन बड़ा ही प्रेरणादायक रहा है, जिस मुकाम पर आज वो हैं वहां तक पहुंचने में उन्हें बहुत मेहनत और लगन लगी है, आइए आज उनके जन्मदिन पर उन से जुड़े कुछ और फैक्ट्स जानते हैं:
● सुंदर क्रिकेट के बड़े शौकीन हैं, अपनी हाई स्कूल क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके सुंदर ने तमिलनाडु राज्य का क्षेत्रीय टूर्नामेंट भी जीता है।
● सुंदर पिचाई रुबा इंक नाम की एक अमरीकी कंपनी के सलाहकार बोर्ड में बतौर सदस्य मनोनीत किए जा चुके हैं।
● सुंदर पिचाई की याददाश्त ज़बरदस्त है। जब तमिलनाडु में इनके घर पर 1984 में पहली बार टेलीफ़ोन लगा था, तब सभी रिश्तेदार किसी दूसरे का नंबर भूल जाने पर सुंदर की याददाश्त की ही मदद लेते थे।
● सुंदर पिचाई के करियर में दो चीज़ें मील का पत्थर रही हैं। पहला उन्होंने जीमेल और फिर गूगल मैप ऐप्स तैयार किया जो रातोंरात लोकप्रिय हुआ।
● पढ़ाई पूरी करने के बाद पिचाई कन्सल्टिंग कंपनी मैकिन्ज़ी के प्रॉडक्ट मैनेजमेंट विभाग में कई सालों तक काम करते रहो।
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