Ashoka Pillar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल नए संसद भवन परिसर में नए कांस्य निर्मित अशोक स्तम्भ का अनावरण किया है. यह नया अशोक स्तम्भ नए बन रहे संसद भवन की छत पर बना है. सहारा देने वाले ढांचे समेत इस स्तम्भ का वजन 16000 किलो बताया जा रहा है.
Ashoka Pillar: इधर प्रधानमंत्री ने नए स्तम्भ का अनावरण किया उधर बहुत से लोगों ने नए निर्मित इस राष्ट्रीय प्रतीक का विरोध शुरू कर दिया. इसे समझने के लिए आपको पुराने अशोक स्तम्भ और नए निर्मित अशोक स्तम्भ की तस्वीरों को ज़रा गौर से देखना होगा.
देखने पर पता चलता है कि पूर्व में बने अशोक स्तम्भ में जिन सिंहों की मूर्ति बनाई गई है वह सौम्य हैं. मगर नए अशोक स्तम्भ में सिंहों की यही छवि दहाड़ते हुए या उग्र दर्शाई गई है. इसी उग्र छवि या दहाड़ती हुई सिंह छवि की वजह से इस नए अशोक स्तम्भ का विरोध हो रहा है. कुछ इसे राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान तो कुछ सरकार की उग्रता दर्शाने का तरीका बता रहे हैं.
एक यूज़र ने फेसबुक पर लिखा
“इतिहास बनने के लिए पुरुषार्थ चाहिए होता है , और पुरुषार्थ सगुण और समर्थ निर्माण की माँग करता है जिसका दृष्टिकोण परमार्थवादी हो और सर्वजन को जोड़ता हो । बुद्धकाल तलवार से नही , करुणा और तर्क से विस्तार लेता है और सारी दुनिया को अपनी गोद में ले लेता है । भारत का मौर्य वंश बैद्ध काल का शीर्ष है जब महान सम्राटअशोक अपने विजय की ताक़त पताका फहरा कर , तलवार पर निगाह डाला तो खुद से पूछा था
- यह सब क्यों और किसके लिए ? विजय के अहंकार को करुणा में डुबो देना , उसकी महानता की व्याख्या होती है । अशोक स्तम्भ उसका प्रतीक है । अशोक स्तम्भ मात्र मूर्तिशिल्प नही है , एक विचार की प्रस्तुति है जहां चारों शेर मुह बंद करके चारों दिशाओं में सचेत बने खड़े हैं । शांत भाव से ।
सत्यमेव जयते मुंडक उपनिषद से उठाया गया श्लोक का एक हिस्सा है , जिसका अर्थ है – सत्य की ही विजय होती है । यह भारत का राष्ट्रीय चिह्न है , । सेना पुलिस , मेडल , सरकारी दस्तावेज , पासपोर्ट सब जगह भारत का यह प्रतीक चिह्न भारत की मौजूदगी दर्ज कराता है । आज यह चिह्न बदला जा रहा है । शेर ख़ूँख़ार होता है , यह प्रदर्शित किया जा रहा है ।
देश के प्रतीक चिह्न के बदलाव का कारण जानना अवाम की माँग है ।”
वहीं एक दूसरे यूजर ने भी अपना विरोध दर्ज किया , उन्होंने लिखा:
” कल प्रधानमंत्री मोदी ने जिस अशोक स्तम्भ का ‘पूजन’ किया (पीछे लोकसभा अध्यक्ष सहमे से बैठे थे), उसका स्वरूप वास्तविक अशोक चक्र से बिल्कुल अलग है। नये अशोक स्तम्भ के शेर ‘आक्रामक और आदमखोर दिखते हैं.. यह शायद हमारे देश के शासन के बदलते रूप को भी दर्शाता है। अब हमने हिंसा को ज्यादा स्वीकार्य और स्वाभाविक मान लिया है..”
ट्विटर पर भी इस विरोध में बहुत से ट्वीट किए गए हैं.
नए अशोक स्तम्भ ओर उपजांयह विरोध अब कहाँ जा कर रुकेगा यह तो वक़्त ही बताएगा. आप इस बारे में क्या सोचते हैं हमें ज़रूर बताएं.
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