Madhya Pradesh: आइये जानते हैं मध्य प्रदेश में स्थित 15 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल कौन कौन से हैं?
Madhya Pradesh: हिंदुस्तान का दिल कहे जाने वाला राज्य मध्यप्रदेश, पर्यटन की असीमित सम्भावनाओं से भरा हुआ है। मध्यप्रदेश में वह सब कुछ जो देश और विदेश को पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस राज्य में पुरातत्व, इतिहास, धर्म , प्रकृति और वन्यजीवन से जुड़े हुए ऐसे अनेकों पर्यटन स्थल हैं जो पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। आज ज़ुबान हिंदी पर हम आपको मध्य प्रदेश में स्थित 15 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं।
1. Madhya Pradesh: भीमबेटका
विंध्य पर्वत श्रंखलाओं के उत्तरी छोर से घिरा भीमबेटका राजधानी भोपाल से 40 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में ओबेदुल्लागंज ( जिला रायसेन) में स्थित है। 10 किलो मीटर लम्बा और 4 किलो मीटर चौड़ा यह स्थान लाखों साल पहले यहाँ की गुफाओं में रोज़मर्रा का जीवन दर्शाते शैल चित्रों के लिए मशहूर है। 500 से ज़्यादा गुफाओं पर एक विशेष रंग से बनाये गए यह शैल चित्र आज लाखों वर्षों बाद भी अमिट है। यहाँ शिकार, पशु पक्षी, धार्मिक, तथा व्यक्तियों के चित्र उकेरे हुए हैं। यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर में भी शामिल किया है।
- घूमने में लगने वाला समय- 2 घण्टे
- प्रवेश शुल्क(भारतीय नागरिक)- 10 रुपये
2. खजुराहो
मध्यप्रदेश राज्य में आने वाले देशी विदेशी पर्यटकों का सबसे ज़्यादा पसन्द किया जाने वाला पर्यटन स्थल खजुराहो है। 950 ईस्वी से 1050 ईसवी के मध्य चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित यह मंदिर श्रृंखला यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल है। यह मंदिर श्रृंखला अपने ऊपर उत्कीर्ण शिल्प के लिए विख्यात है। यह चंदेल राजाओं का धार्मिक सांस्कृतिक केंद्र था। यहाँ मंदिरों पर उकेरे गए शिल्प में चंदेल कालीन समाजिक जीवन, वेशभूषा, केश विन्यास, मनोरंजन और धार्मिक पक्ष नज़र आते हैं। इस जगह की भव्यता इसे मध्य प्रदेश में स्थित 15 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल की सूचि में शुमार कर देती है। कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मन्दिर, पार्श्वनाथ मन्दिर , आदिनाथ मन्दिर, विश्वनाथ मंदिर, वाराह मन्दिर आदि यहाँ पर स्थित मुख्य मंदिर हैं।
- घूमने में लगने वाला समय- 2 से 3 घण्टे
- प्रवेश शुल्क(भारतीय)- 10 रुपये प्रति व्यक्ति
3. भेड़ाघाट जल प्रपात
नर्मदा एवं बावन नदी के संगम पर स्थित यह प्रपात दोनों ओर संगमरमर की चट्टानों से घिरा हुआ है। यह मध्यप्रदेश के जबलपुर जिला मुख्यालय से 23 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। सैकड़ों फीट ऊंचे संगमरमर के घाट और बीच मे बहती नर्मदा को पूर्णिमा की रात निहारना किसी भी प्रकृति प्रेमी के लिए एक अलौकिक अनुभव होगा। ऊंचाई से और बेहद तेज़ वेग में जल गिरने के कारण पानी की बूंदे कोहरे का निर्माण कर देती हैं इस कारण इस प्रपात को धुआंधार जल प्रपात भी कहा जाता है। प्रकृति की अनुपम कारीगरी की छवि भेड़ाघाट मध्यप्रदेश में स्थित 15 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल में ज़रूर शुमार होती है।
4. महाकाल मंदिर, उज्जैन
मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में शिप्रा नदी के किनारे स्थित महाकाल मंदिर की गिनती देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में कई गई है। हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र महाकाल मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। पुराणों में महाकाल को मृत्यु लोक का स्वामी बताया गया है। यहाँ पर स्थित महाकालेश्वर शिवलिंग स्वयम्भू है और दक्षिणमुखी है जिस कारण इसका महत्व और ज़्यादा बढ़ जाता है। यहाँ हर 12 वर्ष के बाद सिंहस्थ कुंभ का आयोजन होता है जो हिन्दू आस्था का सबसे बड़ा पर्व है।
5. अमरकंटक
अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील में स्थित अमरकंटक धार्मिक दृष्टि से हिन्दू आस्था का बड़ा केंद्र है। लगभग 1057 मीटर की ऊंचाई पर मैकल पर्वत पर स्थित यह स्थान देश की दो बड़ी नदियों नर्मदा एवं सोन का उद्गम स्थल भी है। मान्यता है कि यहां पर कई ऋषि मुनियों जैसे कपिल मुनि और मार्कण्डेय ऋषि ने यहाँ तपस्या की थी। इस वजह से यह हिंदुओं की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। अमरकंटक को प्रकृति ने नैसर्गिक सौंदर्य से ख़ूब नवाज़ा है , ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से यह ठंडा भी रहता है। 2005 में इसे पवित्र नगर घोषित कर दिया गया।
6. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
मध्यप्रदेश के उमरिया जिला मुख्यालय से 37 किलोमीटर दूर स्थित बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति , इतिहास और धर्म का अनोखा सम्मिश्रण है। 448.842 वर्ग किलोमीटर में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान अपने बाघों की सघनता के लिए विख्यात है। उद्यान के अंदर ही 14 वीं शताब्दी का किला स्थित है, जो कभी बघेल राजाओं की राजधानी हुआ करता था। उद्यान के अंदर लेटे हुए भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति है जिसे शेषशाही के नाम से जाना जाता है इसके साथ ही शेषशाही तालाब भी है। यह उद्यान अपने सघन वन्य जीवन के लिए सुविख्यात है यहाँ पर बाघ के साथ ही तेंदुआ, भालू, साम्भर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, गौर और 200 से अधिक प्रजाति के पक्षी पाए जाते हैं।
7. बुरहानपुर
मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों में बहुत ही विख्यात जगह बुरहानपुर अनेक कारणों से पहचाना जाता है। बुरहानपुर से होकर दक्खिन को जाने वाला एक प्रमुख मार्ग है और इस मार्ग पर ही असीरगढ़ का किला मौजूद है। अपने महत्व के वजह से इस किले को दक्षिण की चाभी कहा जाता है। इसके अलावा अब्दुल रहीम खानखाना ने बुरहानपुर में 17 वीं शताब्दी में मुगल सूबेदार की हैसियत से अनूठी जल वितरण व्यवस्था ‘ख़ूनी भंडारा’ का निर्माण किया था। इस जल वितरण व्यवस्था से जमीन के नीचे जल स्त्रोतों की खोज कर जल को भूमिगत नहर से शहर तक पानी ले जाने का काम बिना किसी बाहरी मशीन की मदद से बुरहानपुर तक पहुंचाया जाता था जो आज भी कायम है। पर्यटकों में यह जगह बेहद प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां पर पेशवा बाजीराव की समाधि एवं मुमताज महल की कब्र भी स्थित है।
8. मांडव
विंध्यांचल पर्वत श्रेणी के शीर्ष समुद्री सतह से 2000 फुट की ऊंचाई पर स्थित मांडव मूल रूप से मालवा के परमार राजाओं की राजधानी हुआ करता था। तेरहवीं शताब्दी में मालवा के सुल्तान ने इस पर कब्ज़ा कर लिया। यहाँ से नर्मदा नदी एक लकीर की तरह नज़र आती है। हुसैन शाह का मक़बरा जामा मस्जिद, अशरफी महल, नीलकंठ महल, जहाज महल, हिंडोला महल , बाजबहादुर का महल, रूपमती का महल मांडव के दर्शनीय स्थल हैं।
9. ओरछा
बेतवा नदी के तट पर स्थित ओरछा प्राकृतिक और धार्मिक दोनों ही दृष्टि से बेहद ख़ूबसरत स्थान है। यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं राजाराम मन्दिर, रायप्रवीण महल, चतुर्भुज मन्दिर और लक्ष्मी नारायण मंदिर। यहाँ स्थित राजा राम मंदिर में हर दिन पुलिस के जवान भगवान राम सलामी देते हैं। ओरछा में साल भर देशी विदेशी पर्यटक और श्रद्धलुओं का आना लगा रहता है और उसी वजह से यह जगह मध्य प्रदेश में स्थित 15 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल में आती है।
10. सांची
भोपाल से 45 किलोमीटर दूत स्थित सांची अपने स्तूपों के लिए विश्व विख्यात है। विश्व में बौद्ध धर्म का प्रचार सबसे पहले सांची से ही शुरू हुआ था। सांची के पुराने स्मारक सम्राट अशोक ने बनवाये थे। उन्होंने सांची की पहाड़ी पर स्तूप विहार और एकाश्म स्तम्भ बनवाया था। सांची बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थानों के तौर पर प्रसिद्ध है। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बने स्तूप सांची के प्रमुख आकर्षण केंद्र हैं। स्तूप की रेलिंग शुंगों द्वारा बनवाई गई हैं। सांची भारतीय पर्यटकों के साथ ही अपने धार्मिक महत्व के कारण श्रीलंका, जापान, चीन के साथ ही अन्य देशों के बौद्ध पर्यटको को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसे भी यूनेस्को ने अपनी विश्व धरोहर सूची में शमिल किया है।
11. ग्यारसपुर
सांची से लगभग 56 किलोमीटर दूर स्थित ग्यारसपुर एक पुरातात्विक स्थान है। यहाँ पर अठखम्भ, यानी आठ खम्भों का एक विशाल मंदिर के अवशेष है । इसके अलावा यहां पर वज्र मठ, बौद्ध स्तूप के अवशेष , हिंडोला तोरण द्वार, माला देवी मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं। यह जैन श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र भी है।
12. ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है। महाकालेश्वर उज्जैन मंदिर के अलावा यह दूसरा ज्योतिर्लिंग है जो मध्य प्रदेश में स्थित है। ओंकारेश्वर हिंदुओ की आस्था का प्रमुख केंद्र है। ओंकारेश्वर में नर्मदा घाट, चौबीस अवतार, सिद्धनाथ मंदिर, मार्कण्डेय आश्रम, ममलेश्वर महादेव सहित अन्य कई दार्शनिक स्थल है। यह स्थान प्राकृतिक दृष्टि से भी बहुत सुरम्य है।
13. चित्रकूट
मध्य प्रदेश के सतना जिले में स्थित चित्रकूट हिन्दू तीर्थ यात्रियों के लिए एक बेहद ही पवित्र स्थान है। प्राकृतिक सुरम्यता के साथ ही धार्मिक मान्यताओं से भरा हुआ चित्रकूट दिन रात घण्टे और घड़ियालों की आवाज़ से गूंजता रहता है। लोक मान्यता है कि भगवान श्री राम ने 14 वर्ष के वनवास में से 11 वर्ष चित्रकूट में बिताए थे। रामचरित मानस में भी कई जगह पर चित्रकूट का जिक्र आता है। रामघाट, कामदगिरि, जानकी कुंड, सती अनुसुइया आश्रम, स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा, भरत कूप आदि चित्रकूट के दर्शनीय स्थल हैं। शहर के शोर शराबे से दूर चित्रकूट का शांत मनोरम वातावरण में को शांति प्रदान करता है।
14. महेश्वर
नर्मदा नदी के किनारे स्थित महेश्वर का पुराना नाम महिष्मति था। इसे सत्रहवीं शताब्दी में होलकर परिवार की रानी अहिल्याबाई ने बसाया था। महेश्वर में स्थित किला बहुत पुराना एवं दर्शनीय है। इसके अलावा भवानी माता का मंदिर, अहिल्येश्वर शिवालय राजवाड़ा, वणेश्वर शिवालय, बिठा जी की छतरी, राजेश्वर शिवालय, कालेश्वर, जालेश्वर, भरथरी गुफ़ाएँ दर्शनीय हैं।
15. पचमढ़ी
मध्यप्रदेश राज्य का इकलौता हिल स्टेशन देश के श्रेष्ठ पर्वतीय आकर्षणों में से एक है।गर्मी में यहां का तापमान अधिकतम 27 डिग्री और न्यूनतम 8 डिग्री होता है। वर्षा ऋतु में इसकी शोभा और भी बढ़ जाती है। यहाँ की साफ़ हवा, ऊंची चोटियां और प्रकृति का विहंगम दृश्य मन को ख़ुश कर देता है और यही इसे मध्य प्रदेश में स्थित 15 सर्वश्रेष्ठ पर्यटन स्थल में से एक बनाता है। इसी सौंदर्य के वजह से पचमढ़ी को सतपुड़ा की रानी कहा जाता है। जटाशंकर पांडव गुफ़ा, हांडी खो, प्रियदर्शन पॉइंट, बड़े महादेव, डचेशहिल, रजतप्रपात, गुप्त महादेव, धूपगढ़, चौरागढ़ आदि पचमढ़ी के दर्शनीय स्थल हैं।
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